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वासंती हुई शाम कलाकारों की सुमधुर स्वर लहरियों के साथ

लखनऊ की वरिष्ठ वायलिन वादिका डॉ. जयश्री रॉय के सुमधुर वादन से बनी शाम यादगार!

ब्रज पत्रिका, आगरा। पं. रघुनाथ तलेगाँवकर फ़ाउंडेशन ट्रस्ट एवं संगीत कला केन्द्र, आगरा द्वारा आयोजित सरस्वती पूजा के उपलक्ष्य में वसंत उल्लास कार्यक्रम संस्था के डिजिटल पटल पर संपन्न किया गया। कार्यक्रम संस्थापक पं. रघुनाथ तलेगाँवकर जी की पुण्यतिथि को समर्पित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ एडीए के सोम कमल, संस्था के उपाध्यक्ष अनिल वर्मा, आयकर विभाग के सुधीर कुमार एवं प्रतिभा केशव द्वारा दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण कर किया गया।

कार्यक्रम का संगीतमय शुभारम्भ महाकवि पं. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की सुविख्यात रचना “वर दे वीणावादिनी वर दे” से किया गया, जिसकी स्वर रचना डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने की और प्रस्तुति थी संगीत कला केन्द्र के छात्रों द्वारा। तदोपरांत पं. रघुनाथ जी द्वारा रचित राग देस में पारम्परिक शैली चतुरंग एवं तराने की बहुत मनमोहक प्रस्तुति ब्यावर के दीपेन्द्र नाथ द्वारा की गयी।

तत्पश्चात् वसंत पर्व से सम्बंधित दो रचनाओं का प्रस्तुतिकरण किया गया, जिसमें प्रथम रचना राग बसंत पर आधारित “आई ऋतु बसंत सब मिल पूजें माँ शारदा” और द्वितीय रचना राग पटदीप एवं राग बहार के मिश्रण से युक्त “आई आई बसंत बहार” का अप्रतिम गायन संस्था के छात्रों- आर्ची, गौरव गोस्वामी, गोपाल मिश्रा एवं हर्षित आर्य द्वारा किया गया। इसकी शब्द एवं स्वर रचना प्रतिभा केशव ने किया। तबला एवं हर्मोनियम पर कुशल संगति दी डॉ. लोकेंद्र तलेगाँवकर एवं पं. रविंद्र तलेगाँवकर ने।

सभा का समापन लखनऊ की वरिष्ठ वायलिन वादिका डॉ. जयश्री रॉय के सुमधुर एवं अनुभवी वादन से हुआ। आपने राग अहीर भैरव में विलंबित मध्य एवं द्रुत लय गतें, पारम्परिक रागमाला एवं अंत में भैरवी में अत्यंत कर्णप्रिय धुन का वादन कर कार्यक्रम को अलौकिक चरमोत्कर्ष तक पहुँचा दिया। आपके साथ तबले पर संजीव मिश्रा ने सधी संगत कर समाँ बांध दिया। इस अवसर पर संस्था द्वारा आपको प्रतिष्ठित *नाद तंत्री विलास* के मानद सम्मान से विभूषित किया गया और संजीव जी को *नाद सहोदर* का सम्मान प्रदान किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मेघा तलेगाँवकर राव ने किया।

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