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वीर शहीद हुए बहुतेरे, तब हमने आजादी पाई

बुर्जी वाला मंदिर, प्रताप नगर में गूँजे चेतना के स्वर, कवियों ने जगाई देशभक्ति।

स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव की कड़ी में संस्कार भारती की आगरा पश्चिम प्रताप शाखा ने किया आयोजन।

समाजसेवी सुरेश चंद्र अग्रवाल सँग अमर शहीद हरेंद्र सिंह का किया गया भावपूर्ण स्मरण।

ब्रज पत्रिका, आगरा। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव की कड़ी में संस्कार भारती की आगरा पश्चिम प्रताप शाखा द्वारा रविवार शाम प्रताप नगर स्थित बुर्जी वाला मंदिर में चेतना के स्वर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। समारोह में कवियों ने देश की प्रति अनुराग जगाया, वहीं समाजसेवी सुरेश चंद अग्रवाल सँग अमर शहीद हरेंद्र सिंह का भावपूर्ण स्मरण भी किया गया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांतीय प्रचार प्रमुख केशव शर्मा, संस्कार भारती के अखिल भारतीय साहित्य प्रमुख राज बहादुर सिंह ‘राज’, संस्कार भारती के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष बांकेलाल गौड़ और भारत विकास परिषद एनसीआर-एक के अतिरिक्त महामंत्री डॉ. तरुण शर्मा ने दोनों महान विभूतियों के चित्र पर माल्यार्पण और समक्ष दीप जलाकर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया। समारोह की अध्यक्षता सुशील कपूर ने की। समारोह में अमर शहीद हरेंद्र सिंह के परिवारीजनों का सम्मान किया गया।

बही काव्य-धारा

रिटायर्ड बैंक कर्मी विनय बंसल ने शहीदों की शहादत को इस तरह रेखांकित किया-

“रक्त बहा अरु चली गोलियाँ, कई दशक तक चली लड़ाई। वीर शहीद हुए बहुतेरे, तब हमने आजादी पाई…!”

रिटायर्ड डीएसपी डॉ. तेज बहादुर सिंह की कविता भी सीधे दिल में उतर गईं-

“सब कुछ है देने को पर कुछ पास नहीं है। और यूँ खुद को किया है कि मुझे अब प्यास नहीं है…!”

युवा कवि मोहित सक्सेना ने युवाओं को देश प्रेम की सीख दी-

“इश्क किसे कहते हैं और जवानी किसको कहते हैं। आओ बताऊँ मैं तुमको, कुर्बानी किसको कहते हैं। प्रेम पत्र लिख डालो या भारत माता का तिलक करो। असली खून किसे कहते हैं, पानी किसको कहते हैं…!”

वीर रस के लोकप्रिय कवि दीपक दिव्यांशु की इन पंक्तियों पर पूरा सभागार तालियों से गूँज उठा-

“भारती के चीर पर जब भी नजर गंदी पड़ी। हुक्मरानी हस्तियों की आँख जब उस पर गढ़ी। तो ढाल बनकर मौत की संगीन लेकर निज करौं में। ज़िंदगी का दान देकर जंग हमने है लड़ी…!”

अलका अग्रवाल ने राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया-

“न कोई बोले अल्ला मौला। न कोई बोले कृष्ण हरे। जो भी बोले, बस यह बोले। हरे-हरे हिंदुस्तान हरे…!”

गुंजन जादौन ने उपेक्षित बेटियों के प्रति करुणा जगाई-

“जन्म हो बेटी का घर पर, तब मायूसी छा जाती है। क्या गलती है उस नन्ही जान की, जो पैदा होते ही हमारी नजरों से उतारी जाती है…!”

इससे पूर्व कवि पदम गौतम ने मां शारदे की ओजपूर्ण वंदना प्रस्तुत कर सबका दिल जीत लिया।

ये भी रहे शामिल

समारोह का संचालन ओम स्वरूप गर्ग ने किया। संयोजन राजीव सिंघल ने किया। संस्कार भारती के प्रांतीय कोषाध्यक्ष आशीष अग्रवाल, विभाग संयोजक डॉ. मनोज पचौरी और जिला संयोजक इंजीनियर नीरज अग्रवाल ने सभी का स्वागत किया। इस दौरान संरक्षक बृज मोहन बंसल (धूम पायल), अमित जैन एडवोकेट, प्रेमचंद सुपारी वाले और योगेश अग्रवाल भी प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

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