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Koo (कू) बना सार्वजनिक क्षेत्र में एमिनेंस मानदंड शेयर करने वाला पहला भारतीय सोशल नेटवर्क

द Yellow Tick (येलो टिक) – जिसे एमिनेंस कहा जाता है – भारतीय जीवन में भेद को पहचानता है और प्रदर्शित करता है; यह उन सम्मानित व्यक्तित्वों को बढ़ावा देता है जो कूकी यूज़र्स और सोशल मीडिया पारिस्थितिकी तंत्र की पारदर्शिता की विचारधारा की दिशा के अनुरूप काम करते हैं।

ब्रज पत्रिका। Koo (कू) पर एक पीला टिक भारतीय जीवन में यूज़र्स की प्रतिष्ठा, कद, उपलब्धियों, क्षमताओं और पेशेवर स्थिति को पहचानता है और उसका जश्न मनाता है। इसका तात्पर्य है कि यूज़र चाहे- एक कलाकार, विद्वान, खिलाड़ी, राजनेता, व्यवसायी या किसी अन्य क्षेत्र में हो, उसको भारतीय ढाँचे में सम्मानित माना जाता है।

Koo (कू) मंच पर मौजूद सभी लोगों का स्वागत करता है जो कू में एमिनेंस जो कि येलो टिक के नाम से जाना जाता है, के लिए आवेदन देना चाहते है। रिक्वेस्ट फॉर एमिनेंस का मूल्यांकन आंतरिक शोध, तीसरे पक्ष के सार्वजनिक संसाधनों और भारतीय संदर्भ में किया जाता है। प्रत्येक वर्ष मार्च, जून, सितंबर और दिसंबर में कू में एक विशेष टीम द्वारा प्रतिष्ठा मानदंडों की समीक्षा की जाती है। आज तक, प्राप्त अनुरोधों के लगभग एक प्रतिशत के लिए एमिनेंस येलो टिक की पुष्टि की गई है और इन प्रतिष्ठित आवाजों को उनके संबंधित भाषा कम्युनिटी में प्रमुखता दी जाती है। कू यह सुनिश्चित करता है कि एमिनेंस का दुरुपयोग न हो और न ही यह इच्छा के अनूरूप किसी को प्रदान किया जाए।

एमिनेंस के मानदंडों पर प्रकाश डालते हुए, कू के सह-संस्थापक और सीईओ, अप्रमेय राधाकृष्ण ने कहा,

“कू एमिनेंस टिक एक मान्यता है कि यूज़र भारत और भारतीयों की आवाज़ का एक महत्वपूर्ण प्रतिनिधि है। हमने भारत की स्थानीय वास्तविकताओं को मद्देनज़र रखते हुए एक ऐसी प्रकिया तैयार की है और हम पारदर्शिता का ख़्याल रखते हुए एक सत्यापित और ऑनलाइन बातचीत करते हुए ज़िम्मेदारी से कार्य करने वाले यूज़र बेस को बनाये रखने के लिए प्रतिबद्ध है।”

Koo (कू) ऐप के सह-संस्थापक मयंक बिदावतका कहते हैं,

“हमें गर्व है कि कू ने एमिनेंस को सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराने के लिए अपना एक मानदंड बनाया है। चूंकि एमिनेंस का मूल्यांकन भारतीय संदर्भ में किया जाता है, इसलिए यह भारतीयों को येलो टिक प्राप्त करने में सक्षम होने की बेहतर संभावना देता है। डिजिटल बातचीत को दिलचस्प और रचनात्मक बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।”

Koo (कू) कैसे डाउनलोड करें:

यूज़र्स एप को मोबाइल एप स्टोर से डाउनलोड कर सकते है। यूजर के पास अपने मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी का उपयोग करके रजिस्टर करने का विकल्प होता है। एक बार रजिस्ट्रेशन पूरा हो जाने के बाद, वे कू पर अपने पसंदीदा हस्तियों, एथलीटों, राजनेताओं, मनोरंजनकर्ताओं और विचारशील व्यक्तित्वों को फॉलो कर सकते हैं। कू यूज़र्स को उनकी मूल भाषाओं में, अपनी इच्छानुसार बातचीत करने की अनुमति देकर सशक्त बनाता है।

Koo (कू) के बारे में:

Koo (कू) की स्थापना मार्च 2020 में भारतीय भाषाओं में एक माइक्रो-ब्लॉगिंग मंच के रूप में की गई थी। कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध, भारत के विभिन्न क्षेत्रों के लोग अपनी मातृभाषा में खुद को व्यक्त कर सकते हैं। एक ऐसे देश में जहां भारत का सिर्फ 10% हिस्सा अंग्रेजी बोलता है, वहां एक ऐसे सोशल मीडिया मंच की काफ़ी ज़रूरत है जो भारतीय यूज़र्स को इमर्सिव भाषा अनुभव प्रदान कर सके और उन्हें जुड़ने में मदद कर सके। कू उन भारतीयों की आवाज़ को एक मंच प्रदान करता है जो भारतीय भाषाओं को पसंद करते हैं।

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