ज़ी बॉलीवुड और ज़ी क्लासिक पर देखिए हिंदुस्तान के इतिहास की सबसे बड़ी दास्तान-ए-मोहब्बत, मुग़ल-ए-आज़म
ज़ी बॉलीवुड और ज़ी क्लासिक पर एक साथ होगा मुग़ल-ए-आज़म का प्रसारण, रविवार 2 मई को दोपहर 12 बजे
ब्रज पत्रिका। “मेरा दिल भी कोई आपका हिंदुस्तान नहीं… जिस पर आप हुकूमत करें।” फिल्म मुग़ल-ए-आज़म का यह संवाद कई पीढ़ियों से भारतीय सिनेमा की सबसे मशहूर लाइनों में से एक बना हुआ है। सलीम और अनारकली की यह ऐतिहासिक दास्तान-ए-मोहब्बत, अब भी सबसे बड़ी प्रेम कथाओं में से एक के रूप में हमारे दिलों में बसी हुई है।
इस कालजयी फिल्म का जश्न मनाने के लिए ज़ी बॉलीवुड इस मास्टरपीस का रंगीन संस्करण प्रसारित करने जा रहा है, साथ ही ज़ी क्लासिक इस फिल्म को इसके ओरिजिनल ब्लैक एंड व्हाइट अवतार में दिखाएगा। इन दोनों चैनलों पर एक साथ इस फिल्म के प्रसारण के साथ ही, दर्शक अपनी पसंद का संस्करण देख सकते हैं। तो आप भी पहली बार इस मास्टरपीस को इसके पूरे गौरवशाली स्वरूप में देखने के लिए तैयार हो जाइए, रविवार 2 मई को दोपहर 12 बजे, ज़ी बॉलीवुड और ज़ी क्लासिक पर।
के. आसिफ की इस फिल्म में लेजेंडरी दिलीप कुमार, मधुबाला और पृथ्वीराज कपूर ने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। रिलीज़ के दौरान इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर तमाम रिकॉर्ड्स तोड़ दिए थे।
आइए जानते हैं इस फिल्म की भव्यता से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें,
– भारतीय सिनेमा के इतिहास में मुग़ल-ए-आज़म ऐसी पहली फुल फीचर लेंथ फिल्म थी, जिसे रंगीन करके दोबारा सिनेमाघरों में रिलीज किया गया था।
– इस फिल्म को पूरा होने में 16 साल लग गए थे। उस समय पर मुग़ल-ए-आज़म सबसे बड़े पैमाने पर रिलीज की गई थी।
– इस फिल्म के मशहूर गाने ‘ऐ मोहब्बत जिंदाबाद’ में लेजेंडरी गायक मोहम्मद रफी के साथ 100 से ज्यादा गायकों ने कोरस गाया था।
– फिल्म के गाने ‘प्यार किया तो डरना क्या’ के लिए शीश⻬ महल का सेट बनाने में 1 साल का समय लगा था, और उस समय इस पर 15 लाख रुपए का खर्च आया था।
– जिस सीन में मधुबाला को कैद होती है, उसके लिए डायरेक्टर ने नकली और हल्की जंजीरों की बजाय असली और भारी-भरकम जंजीरों का इस्तेमाल किया था, ताकि दृश्य में विश्वसनीयता नजर आ सके।
– इस फिल्म के युद्ध वाले मशहूर दृश्य के लिए भारतीय सेना के असली सैनिकों को दर्शाया गया था। उस समय इसमें 24 लाख रुपए का खर्च आया था, जो आज करीब 18 करोड़ रुपए के बराबर हैं।
– दिलीप कुमार, मधुबाला और पृथ्वीराज कपूर को सलीम, अनारकली और अकबर के रोल में चुनने से पहले के. आसिफ ने इन भूमिकाओं के लिए क्रमशः डी के सप्रू, नरगिस और चंद्रमोहन को लेने पर विचार किया था।
मुग़ल-ए-आज़म भारतीय फिल्म इंडस्ट्री का ऐसा रत्न है, जो टीवी स्क्रीन्स के सामने हर पीढ़ी को जोड़ता है।