सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने ऑक्सीजन इनरिचमेंट यूनिट, यूवीसी एलईडी स्टेरिलाइजर यूनिट तथा ठोस अपशिष्ट के सुरक्षित निपटान की कोविड संबंधित टेक्नोलॉजी हस्तांतरित की
ब्रज पत्रिका। सीएसआईआर-सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, दुर्गापुर ने मॉडयूलर रूप में समेकित म्युनिसिपल ठोस अपशिष्ट निपटान प्रणाली, ऑक्सीजन इनरिचमेंट यूनिट तथा इंटेलिजेंट यूवीसी एलईडी स्टेरिलाइजर यूनिट नामक अपनी कोविड संबंधित टेक्नोलॉजी 24-03-2021 को क्रमशः तमिलनाडु के तूतीकोरिन स्थित मैसर्स साई इनविरो इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड (एसईईपीएल), तेलंगाना के रंगारेड्डी स्थित मैसर्स जेन मेडिकल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड तथा नई दिल्ली स्थित मैसर्स ट्रिनिटी माइक्रोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दी।
सीएसआईआर-सीएमईआरआई के निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) हरीश हिरानी ने इस अवसर पर बताया कि,
“हाल के दिनों में कोविड-19 के प्रकोप में फिर से भारी वृद्धि हो रही है। इसी के साथ-साथ एक बहुकोणीय रणनीति, जिसका उद्देश्य आत्मनिर्भरता की दिशा में काम करना है, के जरिए भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ बनाने की भी तत्काल आवश्यकता है।
सीएसआईआर-सीएमईआरआई टेक्नोलॉजी इनोवेशन तथा ट्रांसफर के जरिए आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की दिशा में समर्पित है, जो एमएसएमई, छोटे उद्यमियों तथा स्टार्टअप्स के लिए सामाजिक कदमों के लिए नवीनतम टेक्नोलॉजी प्रगति को प्रदर्शित करता है।
पिछले कुछ दिनों में सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने एडीटिव मैन्युफेक्चरिंग से लेकर अप्लायड स्टेटिस्टिकल्स डिजायन तक स्पेशलाइजेशनों पर कई कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित किए हैं, जिससे लगभग 300 युवा मस्तिष्कों को लाभ पहुंचा है।
सीएसआईआर-सीएमईआरआई को तत्काल लाभार्थियों तक अपनी पहुंच बनानी चाहिए, जिससे कि समाज पर इसका व्यापक प्रभाव सुनिश्चित किया जा सके। इसे तभी अर्जित किया जा सकेगा, जब एमएसएमई, उद्यमी तथा स्टार्टअप्स सीएसआईआर-सीएमईआरआई के साथ हाथ मिलाएं। आत्मनिर्भरता अर्जित करने का अन्य पहलू राष्ट्रीय मानव संसाधन का कौशल निर्माण करने तथा ऑपरेशनों तथा मेंटिनेंस (ओ एंड एम) के लिए उन्हें नवीनतम प्रोद्योगिकीय उन्नति के अनुकूल बनाए रखना है। स्वदेशी प्रौद्योगिकी तथा क्षमता निर्माण में बढ़ोतरी से आयात निर्भरता के मूल कारणों का पता लगेगा तथा देश के लिए निर्यात बढ़ाने में सहायता मिलेगी।”
उल्लेखनीय है कि सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने एंड यूजर की आवश्यकता के अनुसार मॉडयूलर रूप में समेकित म्युनिसिपल अपशिष्ट निपटान प्रणाली का विकास किया है। टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के विभिन्न मॉडलों में स्क्रू आधारित प्रेस के उपयोग द्वारा ठोस अवयवों को तरल अवशिष्ट से अलग करना, पाइरोलिसिस प्लांट के हॉट फ्लू गैस से रिजेनेरेटिव हॉट एयर ड्राइंग सिस्टम, ब्रिक्वटिंग मशीन, अलग किए जा चुके ठोस की कंपोस्टिंग शामिल हैं। सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने सीवेज उपचार संयंत्र/इफलूएंट ट्रीटमेंट प्लांट से तरल अपशिष्ट के ठोस अवयव के उपयोग के लिए साई इनविरो इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को टेक्नोलॉजी के पांच मॉड्यूल्स ट्रांसफर किये हैं।
साई इनविरो के एक अधिकारी ने बताया कि,
“सीएसआईआर-सीएमईआरआई द्वारा विकसित अपशिष्ट प्रबंधन प्रौद्योगिकी न केवल ठोस अवयवों का विकेंद्रित क्षरण अर्जित करने में सहायता करेगी बल्कि सूखी पत्तियों, सूखी घास आदि जैसे बहुतायत रूप से उपलब्ध पदार्थों से मूल्यवर्धित एंड-प्रोडक्ट्स के निर्माण में भी मदद करेगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि,
“सीएसआईआर-सीएमईआरआई द्वारा एमएसडब्ल्यू प्रोसेसिंग फेसिलिटी का विकास भारत सरकार के केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अनुशंसित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम (एसडब्ल्यूएम) 2016 का अनुसरण करते हुए वैज्ञानिक तरीके से ठोस अपशिष्ट का निपटान करने के लिए किया गया है और इसे विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश), पारादीप और त्रिवेंद्रम (केरल) स्थित हमारी परियोजनाओं में लागू करने का हमारा प्रस्ताव है।”
उन्होंने यह भी कहा कि,
“कोविड की श्रृंखला को तोड़ने में प्रौद्योगिकी अग्रणी भूमिका निभाएगी। संस्थान द्वारा विकसित ऑक्सीजन इनरिचमेंट यूनिट एक डिवाइस है, जो ऑक्सीजन-प्रचुर वायु की आपूर्ति के लिए चयनात्मक रूप से नाइट्रोजन को हटाने के द्वारा हमारे आसपास की हवा से ऑक्सीजन को संकेंद्रित करता है। संकेंद्रित ऑक्सीजन खून में ऑक्सीजेनेशन में सुधार लाने के लिए ऑक्सीजन मास्क या नैजल कैनुला के जरिए सांस संबंधी समस्याओं वाले मरीजों को पहुंचाया जाता है। इस डिवाइस का उपयोग क्रोनिक ओब्सट्रेक्टिव पलमोनरी बीमारियों (सीओपीडी), क्रोनिक हाइकोसेमिया तथा पलमोनरी एडेमा वाले रोगियों के लिए घरों पर या अस्पताल जैसी सुविधाओं में किया जा सकता है। इसका उपयोग गंभीर निंद्रा एपनिया के लिए सहायक उपचार के रूप में किया जा सकता है।”
प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के दौरान जेन मेडिकल टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि ने प्रणाली के विकास में संस्थान के प्रयासों की सराहना की और कहा कि,
“यह प्रौद्योगिकी प्रदूषण में बढ़ोतरी होने के कारण घरों के लिए तथा पलमोनरी रोग के लिए प्रचुर ऑक्सीजन की आपूर्ति में अस्पतालों के लिए उपयोगी होगी।”
उन्होंने कहा कि,
“यह अपनी सुगम पोर्टेबिलिटी के कारण ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रहने वाले जवानों के आकस्मिक कार्यों के लिए भी समान रूप से प्रभावी होगी। वर्तमान महामारी के संदर्भ में, इंटेलिजेंट यूवीसी एलईडी स्टेरिलाइजर यूनिट अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करती है। इसकी वजह यह है कि अगर मोबाइल, वैलेट या चाबी की चेन जैसी नियमित उपयोग की वस्तुओं में जीवाणु बहुतायत मात्रा में हों तो हाथ धोने या मास्क का उपयोग बहुत प्रभावी नहीं हो पाता। रोकथाम से संबंधित हमारे सर्वश्रेष्ठ उपाय़ों के बावजूद एक दूषित वस्तु के कारण संक्रमण हमारे घर में आ सकता है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने एक बुद्धिमत्तापूर्ण, अल्ट्रा-पोर्टेबल सुरक्षित यूबीसी एलईडी आधारित डिसइन्फेक्शन टेक्नोलॉजी प्रस्तुत की है, जिसे जीवाणुओं के घर के दरवाजे पर या यात्रा के दौरान किसी बटन के संपर्क में आने से बचाने के लिए स्टेरेलाइज करने के लिए डिजायन किया गया है। इसमें उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा के लिए अन्य फीचरों के साथ वायरलेस तथा सेंसर आधारित ऑपरेशन शामिल हैं।”
इस टेक्नोलॉजी को स्वीकार करते हुए नई दिल्ली की ट्रिनिटी माइक्रो सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड ने ऐसी प्रौद्योगिकी के विकास के लिए संस्थान की सराहना की और कहा कि,
“स्कूलों तथा औद्योगिक इकाइयों में इस स्टरलाइजर यूनिट का लगाया जाना महामारी के प्रकोप के फिर से बढ़ने के दौरान उनके व्यवसायों को जारी रखने में बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा।”