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वर्ल्ड वॉटर डे पर, कोका कोला ने भारत में पानी प्रबंधन (वॉटर स्टीरवर्डशिप) के एक दशक की यादें ताजा की!

पानी की पुन: पूर्ति की दिशा में आनंदाना (कोका कोला इंडिया फाउंडेशन) के विनम्र योगदान के 10 साल का जश्न मनाया।

ब्रज पत्रिका। वर्ल्ड वॉटर डे (विश्व जल दिवस) के मौके पर कोका कोला इंडिया ने जल प्रबंधन, संरक्षण और खासकर भारत के पानी की कमी वाले इलाके में उसकी पूर्ति पर अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत किया है। एक दशक से ज्यादा के हस्तक्षेप से आनंदाना – कोका कोला इंडिया फाउंडेशन ने पानी के प्रबंधन (वॉटर स्टीिवर्डशिप) में अभिनव रणनीतियां लागू की हैं।

यह ग्रामीण भारत में स्थायी विकास और समावेशी वृद्धि के साथ मुख्य रूप से भिन्न समुदायों के सामाजिक आर्थिक उद्धार में योगदान के लिए है। कंपनी ने 2007 में जो अग्रणी प्रतिज्ञा की थी वह आज एक वास्तविकता है। तब कंपनी ने अपने परिचालनों में उपयोग किए जाने वाले पानी की मात्रा के 100 प्रतिशत की भरपाई का प्रण लिया था। वर्ल्ड वाटर डे पर कोका कोला ने मजबूत बनकर उभरने का संकल्पल लिया है। कंपनी जल शक्ति के संरक्षण की देश की प्राथमिकताओं का समर्थन करेगी और पानी के हरेक बूंद की रक्षा करेगी।

भारत में वॉटर स्टीवर्डशिप की कोका कोला की यात्रा

• डब्ल्यूयूआर (जल उपयोग अनुपात) 2009 में एक लीटर पेय के लिए 2.89 लीटर पानी का उपयोग होता था जो घटकर 2019 में 1.74 लीटर रह गया था। ऐसा परिचालन की प्रक्रिया में निरंतर सुधार से संभव हुआ है।

• 25.1 बिलियन लीटर पानी की भरपाई की संभावना है ऐसा बॉटलिंग परिचालन और कोका कोला इंडिया फाउंडेशन (सीसीआईएफ /आनंदाना) के जरिए किया जा रहा है।

• परिचालन में प्रयुक्त 200 प्रतिशत से अधिक पानी की पुनपूर्ति।

• देश भर में 500 से ज्यादा पानी की भरपाई करने वाली परियोजनाएं।

• लाभ प्राप्त करने वाले एक मिलियन से ज्यादा ग्रामीण /सामुदायिक सदस्य।

कोका कोला इंडिया की वॉटर स्टीवर्डशिप यात्रा की शुरुआत 2010 में हुई थी और तब यह एक भविष्य उन्मुख प्रयास लगता था। इसका मकसद एक सफल और लचीला कारोबार तैयार करना था जो समुदाय के लिए मूल्य जोड़ता है और जहां काम करता है वहां की पारिस्थितिकी को बहाल करता है।

बॉटलिंग साझेदारों, गैर सरकारी संगठन (एनजीओ), नागरिक समाज संगठन (सीएसओ) तथा सामुदायिक सदस्यों के साथ अर्थपूर्ण गठजोड़ करके फाउंडेशन ने प्रमुख जल परियोजनाओं के जरिए विनम्र योगदान किए हैं और यह देश भर के सभी प्रभावित क्षेत्रों में समग्र विकास के लिए है। वैसे तो ये परियोजनाएं पानी की कमी के कारण होने वाली चुनौतियों पर केंद्रित होती हैं पर इसके जरिए सामुदायिक भागीदारी पर भी ध्यान दिया गया है।

महिलाओं के सशक्तिकरण पर खास ध्यान दिया गया है और इसीलिए अक्सर वे ‘पानी समितियों’ में निरीक्षक की भूमिका में पहुंच जाती हैं। इस तरह सामुदायिक जल परियोजनाओं का रख-रखाव और इनकी निरंतरता सुनिश्चित होती है। विस्तृत हस्तक्षेप से कंपनी लोगों की भलाई सुनिश्चित कर पाई है और यह जल रणनीति से संभव हुआ है। यह चार सूत्रीय – रिड्यूस (कम करने), रीयूज (पुनर्उपयोग), रीसाइकिल (पुनरावृत्ति) और रीप्लेनिश (जो खर्च किया उसे पूरा करना) रणनीति पर केंद्रित है।

कंपनी अपने तय लक्ष्यों को हासिल करने के रास्ते पर है और इन लक्ष्यों से वैश्विक प्रवृत्तियों का पता चलता है जो हम सब के लिए सामुदायिक निरंतरता, जलवायु परिवर्तन और जल सुरक्षा से जुड़ा रहता है। चूंकि कंपनी लगातार बेहतर हो रही है और अपने निरंतरता प्रयासों को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से तालमेल में रखती है इसलिए आनंदाना ने अपनी प्रतिबद्धता का विस्तार स्थायी और समावेशी विकास के प्रति किया है।

इसके लिए अपना फोकस उन मामलों पर विविधीकृत किया है जो पर्यावरण, स्वस्थ जीवन और सामाजिक विकास से जुड़े हैं। आज यह फाउंडेशन अपशिष्ट प्रबंध, जैव विविधता, पोषण समर्थन, हेल्थकेयर और सामाजिक आर्थिक विकास जैसे क्षेत्रों में हस्तक्षेप में अग्रणी है।

आज, कोका-कोला इंडिया एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक प्रभाव तैयार कर पाया है और पानी की पूर्ति करने वाली 500 संरचनाओं की स्थापना की है। इनकी क्षमता 25.1 बिलियन लीटर पानी की भरपाई करने की है और इससे समाज के एक मिलियन सदस्यों को फायदा हुआ है।

आनंदाना – कोका कोला इंडिया फाउंडेशन के विषय में
कोका कोला इंडिया फाउंडेशन, एक पंजीकृत कंपनी है जो कंपनी कानून की धारा 25 के तहत पंजीकृत है और उन क्षेत्रों में स्थायी विकास तथा समावेशी वृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है जिनका मकसद बेहतर और स्वस्थ समाज तथा एक मजबूत और स्थिर भारत बनाना है।

इसके लिए आम आदमी को अपना जीवन बेहतर करने के योग्य बनाना है। फाउंडेशन के उद्देश्यों को बढ़ावा देने के लिए एनजीओ, लाभार्थी संगठनों, सहकारी समितियों, लोकपरोपकारियों और ऐसे अन्य लोगों व संस्थाओं को आर्थिक मदद और अन्य सहायता दी जाती है, जो समाज कल्याण के लिए परियोजनाओं को लागू करने में उपयुक्त साझेदार हो सकते हैं।

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