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आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी पूरा हो सकता है जब हम अपने युवाओं को ‘इनोवेट, पेटेंट, प्रोड्यूस और प्रॉस्पर’ के लिए प्रोत्साहित करें-डॉ. हर्ष वर्धन

डॉ. हर्ष वर्धन ने श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के छात्रों को 94वें स्थापना दिवस के मौके पर ऑनलाइन संबोधित किया।

ब्रज पत्रिका। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) के छात्रों को संस्थान के 94वें स्थापना दिवस के मौके पर ऑनलाइन संबोधित किया।

डॉ. हर्षवर्धन ने कॉलेज को उसकी उपलब्धियों के लिए सराहते हुए कहा,

“मैं इस सस्थान, इसके संकाय सदस्यों और तमाम हितधारकों को उनके अटूट दृढ़ संकल्प के लिए तहे दिल से बधाई देता हूं जो छात्रों को जिम्मेदार और सजग नागरिक बनाकर राष्ट्र निर्माण की दिशा में अहम योगदान देते रहे हैं। तीन साल पहले, फरवरी 2017 में, मुझे एसआरसीसी ग्लोबल मिलेनियम समिट, दुबई के राष्ट्रीय लॉन्च के लिए आप सभी के बीच उपस्थित होने का सम्मान मिला था। मैं इसे बहुत गर्व की बात मानता हूं कि आप सभी मुझ पर अपना प्यार और स्नेह बनाए रखते हैं।”

उन्होंने एसआरसीसी को एशिया महाद्वीप में वाणिज्य के लिए सर्वश्रेष्ठ कॉलेजों में से एक होने और हर क्षेत्र के कॉर्पोरेट मामलों, कानून और राजनीति में उल्लेखनीय पूर्व छात्रों के निर्माण के लिए भी बधाई दी।

भारत को विश्व-गुरु के रूप में देखने के नजरिए और देश के युवाओं की क्षमता पर भरोसे पर जोर देते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा,

“सरकार राष्ट्र के युवाओं पर अधिकतम जोर देती है। हमारे दूरदर्शी प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा शुरू की गई नई शिक्षा नीति निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों के लिए देश में शिक्षा सेवाओं की गुणवत्ता में बदलाव लाएगी। वास्तव में, शिक्षा के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करना हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है क्योंकि शिक्षा सामाजिक पिरामिड में सबसे शीर्ष पर आती है। भारत एक ऐसा देश है जहां के युवाओं में अपार संभावनाएं हैं। हमारे प्रिय प्रधानमंत्री ने एक मजबूत और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए एक स्पष्ट आह्वान किया है। एक आत्मनिर्भर भारत जो पहले से ही वैश्विक महाशक्तियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है।”

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी पूरा हो सकता है जब हम अपने युवाओं को ‘इनोवेट, पेटेंट, प्रोड्यूस और प्रॉस्पर’ के लिए प्रोत्साहित करें और अपने देश को तेजी से विकास की ओर ले जाएं।

डॉ. हर्ष वर्धन ने भारत को महामारी की चपेट से बाहर निकालने में युवाओं की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा,

“कोवि़ड-19 ने कुछ तरीकों से समय की घड़ी को पीछे कर दिया है और इस घातक वायरस ने हमारे विकास को अस्थायी रूप से पटरी से उतार दिया है। इस मुश्किल वक्त में रणनीतिक कौशल से भरे फैसलों, सूझ-बूझ और सामाजिक उद्यमिता की जरूरत है। इसके लिए जनसमूहों को जोड़ने, आक्रामक अभियानों, शक्तिशाली साझेदारों और गहरी प्रतिबद्धताओं की भी आवश्यकता है और सबसे बढ़कर, इसे एक शक्तिशाली सामाजिक प्रतिबद्धता की जरूरत है। इन जटिल परिस्थितियों में युवाओं के पास अपनी जीवंत ऊर्जा, उत्साह और सामर्थ्य दिखाने की अपार क्षमता है। उन्हें कोविड-19 के संबंध में टीकाकरण अभियान और अन्य संबंधित सरकारी नीतियों के बारे में लोगों को सही जानकारी प्रदान करने में सहायता करनी चाहिए।”

वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य क्षेत्र के पेशेवर लोगों के प्रयासों की सराहना करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा,

“भारतीय वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों ने एक बेहद बड़ा और कठिन इम्तिहान दिया है। जहां हमारे कोविड योद्धाओं ने सबकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बलिदान दिए हैं, हमारे वैज्ञानिकों ने इस महामारी से बचाने के लिए वैक्सीन विकसित करके एक प्रशंसनीय काम किया है। मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि सरकार 135 करोड़ लोगों को टीका लगाने की चुनौती को पूरा करने के लिए ओवरटाइम काम कर रही है।”

डॉ. हर्ष वर्धन ने स्वामी विवेकानंद के उल्लेख के साथ अपना संबोधन खत्म किया। उन्होंने स्वामी विवेकानंद को हर दौर के मुख्य शिक्षाविद् के रूप में वर्णित करते हुए कहा,

“वो शिक्षा जो आम इंसान को जीवन के संघर्ष के लिए खुद को मजबूत करने में मदद न करे, वो शिक्षा जो उसकी ताकत न बने, वो शिक्षा जो उसमें चरित्र और परोपकार की भावना न लाए और वो शिक्षा जो इंसान में एक शेर सा साहस न जगाए, वो सिर्फ मात्र के लिए ही होगी। वास्तविक शिक्षा वह है जो किसी को अपने पैरों पर खड़े होने में सक्षम बनाती है।”

डॉ. हर्ष वर्धन ने सभी को साथ मिलकर भारत को फिर से विश्व-गुरु का दर्जा दिलाने की अपील की जो यहां तैयार हो रहे संकाय और छात्रों के साथ प्रतिध्वनित होता है।

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