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पैरोडी काव्य समारोह संपन्न, रचनाओं को सुनकर श्रोता आनंद में डूबे!

ब्रज पत्रिका, आगरा। साहित्य संगीत संगम और संस्थान संगम के संयुक्त तत्वावधान में पैरोडी काव्य समारोह श्री कृष्ण जी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। समारोह का शुभारंभ संस्था सचिव सुभाष सक्सेना के स्वागत उद्बोधन एवं पूजा तोमर की सरस्वती वंदना से हुआ।

इस अवसर पर श्रीकृष्ण जी ने कहा कि,

“पैरोडी की विधा हमारी लोक विधाओं में बेहद लोकप्रिय है, और फिल्मी गीतों पर भी बहुत सारी पैरोडीज लिखी गईं जो पसंद की गईं। यह समारोह  इस दृष्टि से अनूठा है कि बड़े साहित्यकारों और शायरों की रचनाओं पर पैरोडी लिखी जा रही हैं। आयोजकों को इसके लिए बधाई।”

आयोजन की विशेषता इस बार यह रही कि देश के  बड़े-बड़े शायरों और कवियों की सुप्रसिद्ध सुप्रसिद्ध रचनाओं पर  रचनाकारों ने कलम चलायीं। हैदराबाद, फिरोजाबाद, जयपुर,  लखनऊ और आगरा के  रचनाकार इस आयोजन में शामिल थे। आयोजन में लखनऊ से डॉ. अरविंद झा ने गोपालदास नीरज की रचना “दिल आज शायर है गम आज नगमा है” पर ,नरेंद्र भूषण जी ने दुष्यंत कुमार की रचना “हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए” पर, फिरोजाबाद से कृष्णा उपाध्याय ने “पर उपदेश कुशल बहुतेरे” उक्ति पर जयपुर से सुशीला शर्मा ने कुमार विश्वास की रचना “किसी के दिल की मायूसी जहां से होकर गुजरी है” पर, डॉ. राजेंद्र मिलन ने बलबीर सिंह रंग की रचना “तुम्हारी कसम मैं तुम्हारा नहीं हूँ” पर, एस.एस. यादव ने मुनव्वर राणा की रचना “जिसे दुश्मन समझता हूँ वही अपना निकलता है” पर, डॉ. शैलबाला अग्रवाल ने चंद्र प्रकाश वर्मा की रचना “मेरे आंगन में भी लगी” पर, डॉ. शशि गोयल ने रैदास की रचना “प्रभु जी तुम चंदन हम पानी” पर, हैदराबाद से डॉ. कुमुद बाला ने नरेंद्र राय की रचना “आंखें दिखाते खाली पीली” पर, डॉ. नीता दानी ने “कबूतर जा जा जा” पर, डॉ. अशोक अश्रु ने जयशंकर प्रसाद की रचना “बीती विभावरी जाग री” पर, सुशील सरित ने द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की रचना “वीर तुम बढ़े चलो” पर,  राज चौहान ने सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’  की रचना “आओ तो एक बार” पर, रमा वर्मा ‘श्याम’ ने  गोपालदास नीरज की रचना “खिड़की खुली हुई है उसके मकान की” पर,  डॉ. रमेश आनंद ने शीलेन्द्र वशिष्ठ की रचना “आ गया सावन का महीना” पर, असीम आनंद ने “हे प्रभु आनंद दाता पर” और सुधीर शर्मा ने मजरूह सुल्तानपुरी की रचना “मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर” पर पैराडियां प्रस्तुत कीं।

मुख्य अतिथि एस. एस. यादव ने कहा कि,

“यह प्रयोग भारतवर्ष में पहली बार किया गया है और यह अनुकरणीय है। आमतौर पर हास्य को हल्के में लिया जाता है, लेकिन हास्य बड़े निर्दोष तरीके से सुधार का काम करता है। और सच यह है कि हास्य के रचनाकारों को वह सम्मान नहीं मिला, जो उन्हें मिलना चाहिए। यह समारोह उन्हें सम्मान देने का एक विशिष्ट आयोजन है।”

समारोह का संचालन सुशील सरित ने किया। धन्यवाद डॉ. अशोक अश्रु ने ज्ञापित किया। तकनीकी सहयोग राहुल सिंह ने दिया।

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