श्री हरकिशन धिय़ाइए जिस डिट्ठे सब दुख जाए…
ब्रज पत्रिका, आगरा। सिख धर्म के आठवें गुरु साहिब श्री गुरु हरि किशन साहिब जी का पावन प्रकाश पर्व धूमधाम से श्रद्धा पूर्वक फेसबुक के माध्यम से मनाया गया। कार्यक्रम सुखमनी सेवा सभा की ओर से प्यारे वीर महेंद्र पाल सिंह ने गुरु का कीर्तन और गुरु महाराज की जीवनी से संबंधित विचारों का उल्लेख करके संगत को निहाल किया। यह धार्मिक कार्यक्रम देश-विदेश में अनगिनत संगत ने फेसबुक के माध्यम से घर-घर में बैठकर सुना और सराहा। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए इस प्रोग्राम को सम्पन्न किया गया। साथ ही फेसबुक के माध्यम से प्रसारित भी किया गया।
इस अवसर पर वीर महेंद्र पाल सिंह जी ने सबसे पहले शबद सुनाया-श्री हरकिशन धिय़ाइए जिस डिट्ठे सब दुख जाए…।
इसका भाव ये है कि गुरु हरकिशन पातशाह जी के दर्शन मात्र से ही सारे दुख, रोग और तकलीफ दूर हो जाते हैं। जब उनको अपने हृदय में बसाकर उनकी याद में इंसान खो जाता है तो मन की मलिनता भी दूर हो जाती है।
अपने विचार प्रकट करते वीर महेंद्र पाल सिंह ने कहा,
“हरकिशन साहिब पातशाह की उम्र बेशक बहुत छोटी थी, मात्र पाँच साल की आयु में उनको गुरुगद्दी मिल गई और आठ साल की उम्र में जिस समय दिल्ली में चेचक की महामारी फैली थी, उस समय गुरु महाराज ने उस चेचक की बीमारी को अपने ऊपर ले लिया था। लाखों लोगों को इस महामारी से निजात दिलाई और इस महामारी से मुक्त कराया। इस महामारी को अपने ऊपर लेकर अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। यह गुरु महाराज की इस संसार को महान देन है कि अपना सब कुछ वार कर भी किसी का भला करना। इसीलिए कहते हैं-“दुख भंजन तेरा नाम जी दुख भंजन तेरा नाम।”
इस शबद का बड़े सुंदर ढंग से वीर महेंद्र पाल सिंह ने गायन किया और कहा कि गुरुद्वारा बंगला साहिब, जो दिल्ली में है, यह किसी समय में राजा मिर्जा जयसिंह का बंगला हुआ करता था। लेकिन जिस समय गुरु हरकिशन साहिब जी के वहां चरण पड़े, तो वह बंगला, बंगला नहीं रहा, बंगले के साथ साहिब भी जुड़ गया। अब इसे बंगला नहीं कहते, बंगला साहिब कहते हैं। आज भी इस स्थान पर जो सच्चे मन से गुरु हरकिशन साहिब जी को याद करता है, उनकी बाणी से जुड़ता है, उसके सारे दुख, कलेश और विघ्न दूर हो जाते हैं। ऐसे प्यारे सतगुरु जी को सभी ने मिलकर नमन कर याद किया।
इस कार्यक्रम में विशेष सहयोग देवेंद्र पाल सिंह, गुरमीत सिंह सेठी, जगमीत सिंह गुलाटी, अशोक अरोरा, संजय जटाना, रेनू, जसप्रीत गुलाटी, मोना मखीजा, ऋचा जटाना, स्टैलाजी, गुरमीत कौर और बंटी ग्रोवर आदि का रहा।