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पं. अजय शंकर प्रसन्ना की बांसुरी की स्वर लहरियों एवं प्रो. जयंत खोत के गायन से निनाद महोत्सव का सुरमय समापन

60वें निनाद महोत्सव का हुआ समापन, अंतिम संगीत सभा में बरेली से पधारी कु. मनरीत कौर ने वायलीन पर राग जोग की प्रभावशाली प्रस्तुति विशेष तैयारी के साथ दी।

ब्रज पत्रिका, आगरा। निनाद महोत्सव के दूसरे दिन समापन सत्र के रूप में पं. अजय शंकर प्रसन्ना की बांसुरी की स्वर लहरियों एवं प्रो. जयंत खोत के गायन से निनाद महोत्सव का सुरमय समापन हुआ जो कि गुरु श्री एम.एल. कौसर जी को समर्पित थी। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री डॉ. आरएस पारिख ने कलाकारों का सम्मान किया।

समापन सभा में बरेली से पधारी कु. मनरीत कौर ने वायलीन पर राग जोग की प्रभावशाली प्रस्तुति विशेष तैयारी के साथ दी। तबले पर सुंदर संगति की अमरनाथ ने अगली प्रस्तुति के रूप में ग्वालियर परंपरा के प्रमुख कलाकार प्रो. जयंत‌ खोत ने राग यमन में विलंबित एक ताल एवं मध्य लय तीन ताल में बंदिश तदोपरांत ग्वालियर घराने की विशिष्ट रचनायें अष्टपदी, रास, टप्पा की प्रस्तुति कर श्रोताओं को आनंदित किया। संवादिनी पर पं. रविंद्र तलेगांवकर एवं तबले पर डॉ. लोकेन्द्र तलेगांवकर ने कुशल संगति की।

कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति के रूप में अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त बांसुरी वादक पं. अजय शंकर प्रसन्ना का बांसुरी वादन रहा। आपने राग बागेश्री में विलंबित रूपक, मध्यलय एक ताल एवं द्रुत तीन ताल में गतें विशेष तैयारी के साथ प्रस्तुति कर श्रोताओं को आनंदित किया तथा बनारस की प्रचलित धुन से समापन किया। तबले पर अप्रतिम संगति डॉ. हरिओम हरि ने की।

कार्यक्रम का समापन संगीत कला केंद्र के साधकों ने विष्णु दिगंबर जी द्वारा रचित आरती “जय जगदीश हरे” एवं रामधुन, “रघुपति राघव राजा राम” का प्रस्तुतिकरण कर कार्यक्रम को आध्यात्मिक ऊंचाइयों तक पंहुचाया।

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