फिर तुम्हारी चेतना की शाखों पर भी खिलेंगे विचारों के हीरे-मोती
“लाइफ-सिंफनी” में बिखरे हैं जीवन के अनगिनत सूत्र।
ताजनगरी के युवा सर्राफा उद्यमी मोहित अग्रवाल द्वारा लिखी अंग्रेजी पुस्तक राष्ट्रीय पुस्तक मेले में दो दिन पूर्व लोकार्पण के बाद बनी विमर्श का केंद्र।
आगरा राइटर्स के स्टॉल पर मिल रहा आगरा के नये-पुराने साहित्यकारों को प्रोत्साहन, अक्षरा साहित्य अकादमी के राष्ट्र-स्तरीय प्रयास को मिल रही सराहना।
विश्व गुरू भारत और युद्धरत विश्व के कल्याण के लिए वैचारिक सत्ता की प्रतिष्ठा जरूरी – मोहित अग्रवाल
ब्रज पत्रिका, आगरा। मैंने जीवन के कठोर और कड़वे यथार्थ से पूर्णत: स्वस्थ और संगीत से मधुर जीवन जीने के सरल सूत्र निकाले हैं। अब अगर ये सूत्र पाठकों तक पहुंच सकें और किसी एक के भी जीवन में गुणात्मक परिवर्तन आए तो मैं अपनी लेखन-साधना को सार्थक समझूँगा।
ये विचार आगरा के युवा साहित्यकार और सराफा उद्यमी (चांदी कारोबारी) मोहित अग्रवाल ने व्यक्त किये।
मोहित अग्रवाल पंचकुइयां स्थित राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में आयोजित अक्षरा साहित्य अकादमी के राष्ट्रीय पुस्तक मेला एवं साहित्य उत्सव में नए-पुराने कवि-साहित्यकारों व लेखकों को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से लगाए गए आगरा राइटर्स के विशेष स्टॉल पर दो दिन पूर्व ही आयोजकों और जाने-माने साहित्यकारों द्वारा लोकार्पित अपनी प्रथम नॉनफिक्शन कैटेगरी की पुस्तक “लाइफ-सिंफनी…दि प्रिज्म ऑफ ए कॉन्शियस सोल” के बारे में जिज्ञासु पाठकों, पुस्तक प्रेमियों और नए विचार का सम्मान करने वाले गणमान्य पत्रकारों से अपनी साहित्य-यात्रा साझा कर रहे थे।
मोहित ने अक्षरा साहित्य अकादमी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विनोद माहेश्वरी, सचिव दीपक सिंह सरीन और कोषाध्यक्ष श्रुति सिन्हा द्वारा मिले हार्दिक सहयोग और शुभाशीष की सराहना करते हुए कहा कि,
“आगरा की नई पीढ़ी – विशेषकर मुझ जैसे नये ऑथर्स के लिए अक्षरा का यह महनीय और राष्ट्र-स्तरीय प्रयास स्तुत्य व अनुकरणीय है। मेरे जीवन के लिए तो यह मेला किसी विचार के बड़े महोत्सव से कम नहीं।”
आगे उन्होंने कहा कि,
“इस पुस्तक मेले से हजारों लोग ‘विचार’ से ‘संस्कार’ और ‘विकार’ से ‘निर्विकार’ की यात्रा कर अपने जीवन को और सुखद-समृद्ध बनाने के साथ भारत को विश्व गुरू व दुनिया को गलाकाट प्रतिस्पर्धा तथा परस्पर युद्धों से मुक्ति दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करेंगे।”
युवा कारोबारी से साहित्यकार बने 35 वर्षीय मोहित अग्रवाल ने इसी क्रम में कहा कि,
“आखिरकार विश्व गुरू भारत और युद्धरत विश्व कल्याण के लिए वैचारिक सत्ता की प्रतिष्ठा बेहद जरूरी है जिसका रास्ता ऐसे ही सार्थक पुस्तक-मेलों और नए रचनाकारों को प्रोत्साहन प्रदान करने से निकलता है।”
अपनी पुस्तक की विषय वस्तु और विषय वस्तु को केंद्र में रखकर तैयार किए गए चित्ताकर्षक आवरण पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि,
“यहां यह संदेश दिया गया है कि जीवन के वाद्ययंत्र पर सुमधुर स्वरमाला तभी बज उठेगी जब चैतन्य आत्मा के वृक्ष पर विचारों के हीरे-मोती जैसे फल लगाए जाएं।”
मोहित ने स्पष्ट किया कि, मेरी यह किताब इसी दिशा में मेरा पहला कदम है। एक प्रश्न के उत्तर में आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने बताया कि किताब का कुशल संपादन उनके गुरुदेव, प्रेरणा स्रोत और आगरा के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. आरएस तिवारी ‘शिखरेश’ ने बड़े ही मनोयोग से किया है। उन्होंने यह भी बताया कि घर-घर आरोग्य मंत्र देने वाले अनसंग वॉरियर स्वर्गीय राजीव दीक्षित जी को यह पुस्तक भावभरे हृदय से समर्पित की गई है।