UA-204538979-1

प्राचीन काल में हमारा विज्ञान शास्त्र इसलिए ही सर्वोच्च स्तर पर था क्योंकि उस समय ध्यान और आध्यात्मिक शक्तियों को विज्ञान से जोड़कर ही खोज की जाती थीं-प्रो.पी.के. कालरा

ब्रज पत्रिका, आगरा। डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में सात दिवसीय ‘विज्ञान प्रसार महोत्सव’ का समापन 28 फरवरी को धूमधाम से हुआ। समापन सत्र के दौरान सभी गतिविधियों के विजेताओ को पुरस्कृत किया गया और सर्टिफिकेट से हौसला बढ़ाया गया। समापन सत्र के अध्यक्ष विश्विधालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक रहे। मुख अतिथि दयालबाग एजुकेशनल इंस्टिट्यूट (डीम्ड यूनिवर्सिटी) के कुलपति प्रो.पी. के. कालरा जी रहे। साथ ही विशिष्ट अतिथि रहे प्रो. अजय तनेजा (उप-कुलपति), प्रो. संजीव कुमार (प्रोग्राम कॉर्डिनेटर और डीन अकादमिक. साथ ही को-कॉर्डिनेटर के रूप में प्रो. वी. के. सारस्वत मंचासीन रहे।

मुख्य अतिथि प्रो.पी.के. कालरा का कहना था कि,

“विज्ञान को समझने के लिए अब दायरा बढ़ाने की जरूरत है। परंपरागत विज्ञान के साथ अब उसके दायरे से परे के विषयों पर ध्यान केंद्रित कर अवचेतन मन की स्थित को भी विज्ञान से जोड़ने की जरूरत है। बिना इसके सीमित दायरे में बंधकर कभी विज्ञान की सीमाओं को विस्तार नहीं दिया जा सकता है। प्राचीन काल में हमारा विज्ञान शास्त्र इसलिए ही सर्वोच्च स्तर पर था क्योंकि उस समय ध्यान और आध्यात्मिक शक्तियों को विज्ञान से जोड़कर ही खोज की जाती थीं। आज तरक्की पाने के लिए उसी दिशा में सोचने की आवश्यकता है। जीवन की भौतिक आवश्यकताओं को सीमित कर ज्ञान की आवश्यकता बढ़ाने से ही क्वालिटी ऑफ लाइफ प्राप्त की जा सकती है।”

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक का कहना था कि,

“विश्व की उत्पत्ति कैसे हुई और यह कैसे काम करता है, इसको लेकर तमाम शोध चल रहे हैं, लेकिन इस रहस्य और इस थ्योरी की खोज भारत में ध्यान के माध्यम से सदियों पहले हो चुकी है। यही स्थिति गॉड पार्टिकल थ्योरी को लेकर है, उस शोध पर भी भारतीय वैज्ञानिक एस.एन. बोस के हस्ताक्षर हुए थे। क्वांटम थ्योरी में भी रुद्र तांडव की प्रतिमा विद्यमान होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि विश्व की उत्पत्ति का राज कहां छिपा है, भारत पहले ही तलाश चुका था, भारतीय मनीषा ने सुपर विज्ञान को खोजा था। आज भी वैज्ञानिक कॉन्शियसनेस पर काम कर रहे हैं। इसलिए वर्तमान जरूरतों को देखते हुए कॉन्शियसनेस को विज्ञान से मिलाना होगा। यह थ्योरी भी हमने ही दी, कि पूर्णता में पूर्ण को मिलाकर या घटाकर भी पूर्णता ही प्राप्त की जाती है। इसलिए प्राचीन विज्ञान और ज्ञान को मिलाकर हमें नई सोच के साथ आगे बढ़ना होगा। तभी हम नए विज्ञान की चौथी औद्योगिक क्रांति में खुद को साबित कर पाएंगे, जो पूरी तरह डाटा आधारित होगी क्योंकि पहली तीन औद्योगिक क्रांति में हम पिछड़ चुके हैं।”

कुलपति प्रो. पाठक ने अपनी बात रखते हुए सभी विजेता ही नहीं बल्कि सभी अलग-अलग गतिविधियों के प्रतिभागियों को भी आशीर्वाद दिया और कहा कि,

“सच में आत्मचिंतन से अपनी क्रिएटिविटी और इनोवेशन को बढ़ाओ और सबका नाम रोशन करो।”

फिर उन्होंने इस सात दिवसीय विज्ञान महोत्सव के कॉर्डिनेटर प्रो. संजीव कुमार, जो विश्विधालय के डीन अकादमिक भी है, उन्हें उनकी टीम के साथ इस आयोगन की सफलता के लिए बधाई दी और कहा कि आगरा ही नहीं आसपास के शहरों तक इस विज्ञान उत्सव की चर्चा हुई और विशेष बात यह रही की रोज बच्चो ने इसमें भरी संख्या में बढ़ चढ़कर भाग भी लिया। आशा है डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्विधालय में ऐसे आयोजन लगातार होते रहेंगे।

इस कार्यक्रम के आयोजन के सदस्य प्रो. संजय चौधरी, डॉ. रीता निगम, डॉ. रचिता शर्मा, डॉ. अंकुर गुप्ता, डॉ. आर. के. अग्निहोत्री, डॉ. दवेंद्र कुमार, डॉ. इंदु जोशी, डॉ. एस. के. जैन, पूजा सक्सेना, तरुण श्रीवास्तव, दीपक कुलश्रेष्ठ, डॉ. सुनील कुमार उपाध्याय, डॉ. मोनिका अस्थाना, डॉ. मुकेश बघेल, डॉ. रत्ना पाण्डेय, शैलेन्द्र सिंह, दीपक गुप्ता, हिमांशु, अमित शर्मा, प्रशांत, सौरभ, डॉ. सुरभि महाजन, डॉ. प्रभात किरण, आमेंद्र, आशीष लखेरा, जनसंपर्क अधिकारी प्रो. प्रदीप श्रीधर, डॉ. रामवीर सिंह चौहान, प्रो. अनिल वर्मा, प्रो. पी. के. सिंह, प्रो. बी. एस. शर्मा आदि मौजूद रहे। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. संजीव कुमार द्वारा दिया गया।

विजाताओ को कम्युनिटी रेडियो में साक्षात्कार देने का मौका मिला

महोत्सव में पहले 6 दिन हुई अलग और रोचक गतिविधियों के सभी विजाताओ को सुबह यूनिवर्सिटी कम्युनिटी रेडियो में साक्षात्कार देने का मौका मिला। रेडियो पर ये इंटरव्यू प्रोग्रामिंग हेड पूजा सक्सेना ने लिया। जिसमें तकनीकी सहयोग रेडियो के इंजिनियर तरुण श्रीवास्तव ने किया, इसका पूरा वीडियो शूट रेडियो के youtube/ फेसबुक पेज 90.4 Agra Ki Awaz के लिए कैमरामैन आशीष ने दीपक कुलश्रेष्ठ के निर्देशन में किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!