पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान एकीकृत बुनियादी ढांचा योजना, कुशल समन्वय और निगरानी को सक्षम बनाने की दिशा में पहला कदम है-नरेंद्र मोदी
पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के कार्यान्वयन के माध्यम से लॉजिस्टिक्स क्षमता को मजबूत कर रहे हैं।
ब्रज पत्रिका। प्रधानमंत्री ने अपने विशेष संबोधन के दौरान संसाधनों के इष्टतम उपयोग के लिए केंद्र सरकार के मंत्रालयों, राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र समेत विभिन्न हितधारकों में एकीकृत योजना और सूचना के निर्बाध प्रवाह के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान एकीकृत बुनियादी ढांचा योजना, कुशल समन्वय और निगरानी को सक्षम बनाने की दिशा में पहला कदम है और इससे परियोजना के पूरा होने में लगने वाले समय और लागत में भी कमी आएगी।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि,
“केंद्र सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय 2013-14 के समय 2.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2022-23 में 7.5 लाख करोड़ रुपये किया गया है। सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग, रेलवे, नागरिक उड्डयन, जलमार्ग, ऑप्टिकल फाइबर, गैस ग्रिड और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में निवेश बढ़ाया है। राज्य सरकारों को पीएम गतिशक्ति के तहत बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 2022-23 में 1 लाख करोड़ रुपये दिए गए हैं।”
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि देश में लॉजिस्टिक्स खर्च मौजूदा समय में जीडीपी का 13-14 प्रतिशत है, जिसे घटाने की आवश्यकता है। इसके लिए सरकार और निजी क्षेत्र के बीच समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता है। उन्होंने हितधारकों को आश्वासन दिया कि नीति निर्माण में उनके सुझावों पर विचार किया जाएगा।
‘लॉजिस्टिक्स दक्षता को बढ़ाने वाले’ विषय पर ब्रेकआउट सत्र का आयोजन किया गया और इसका संचालन सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, रेल मंत्रालय और बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय की ओर किया गया। ब्रेकआउट सत्र में हरिकिशन कोप्पुला रेड्डी (सीईओ, क्यूब हाईवे), विक्रम जयसिंघानिया (सीईओ, अडानी लॉजिस्टिक्स), बेंजामिन फौचियर डेलविग्ने (एशिया सेल्स मैनेजर, पीओएमए) और सचिन भानुशाली (सीईओ, जीआरएफएल) सहित कई प्रतिष्ठित हस्तियों और उद्योग व इन्फ्रास्ट्रक्चर एजेंसियों के 20 से ज्यादा पैनलिस्टों ने हिस्सा लिया।
ब्रेकआउट सत्र की शुरुआत अध्यक्ष NHAI अल्का उपाध्याय के संबोधन के साथ हुई। श्रीमती उपाध्याय ने एक्सप्रेस वे के लिए मास्टर प्लान के चार उप-विषयों पीएम गतिशक्ति कार्गो टर्मिनलों और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों, पर्वतमाला: लास्ट माइल हिल कनेक्टिविटी में सुधार और सागरमाला: पारंपरिक परिवहन प्रणाली के साथ पोर्ट इंटिग्रेशन पर हितधारकों की राय मांगी है।
एक्सप्रेस वे के मास्टर प्लान पर, श्री रेड्डी ने सुझाव दिया कि,
“सभी प्रमुख आर्थिक केंद्रों के लिए हाई-स्पीड कनेक्टिविटी सुनिश्चित की जानी चाहिए। एक्सप्रेस वे नेटवर्क को मौजूदा राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग नेटवर्क का पूरक होना चाहिए।”
पैनलिस्टों ने सुझाव दिया कि पीपीपी रियायत पाने वालों के लिए एक व्यावहारिक वित्तपोषण मॉडल विकसित करने की आवश्यकता है और विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) के शीघ्र संचालन के जरिए ऋण उपलब्धता में सुधार किया जाना चाहिए। केंद्र और राज्य स्तर पर समयबद्ध वन, वन्य जीव, खनिज और अन्य स्वीकृतियों पर बल दिया गया।
पीएम गतिशक्ति कार्गो टर्मिनलों और मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों में कस्टम बॉन्डिंग सुविधाओं के स्वचालित प्रावधान और एमएमएलपी व कार्गो टर्मिनलों पर अन्य मंजूरी की पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान में पहचान की गई, इसका सुझाव दिया गया। श्री जयसिंघानी ने केंद्रीय मंत्रालयों (जैसे पर्यावरण) और राज्य सरकारों से सही मायने में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी (सड़क, रेल) और समयबद्ध मंजूरी सुनिश्चित करने के लिए अंतर-मंत्रालय समन्वय पर जोर दिया। इस क्षेत्र में निजी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए एसेंट रीसाइक्लिंग और लंबी रियायत अवधि के लिए लचीली नीति में सुधार का भी प्रस्ताव किया गया।
पर्वतमाला पर, श्री डेलविग्ने ने निजी क्षेत्र से निवेश को आकर्षित करने के लिए सुरक्षा आवश्यकताओं और वैकल्पिक पीपीपी मोड के उपयोग के मद्देनजर प्रौद्योगिकियों के चयन में लचीलेपन की जरूरत पर प्रकाश डाला।
पैनलिस्टों ने सुझाव दिया कि शहरी क्षेत्रों में टैरिफ नीतियों और हवाई अधिकार मानदंडों सहित क्षेत्र को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए नियामक ढांचे को उदार बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि पर्यावरण मंजूरी से छूट और समयबद्ध वन मंजूरी के माध्यम से मंजूरी व्यवस्था को उदार बनाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ दृष्टिकोण के अनुरूप, रोपवे पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने के लिए आईआईटी और एनएसडीसी कौशल पाठ्यक्रमों के माध्यम से उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना के माध्यम से क्षमता निर्माण का सुझाव दिया गया।
सागरमाला पर, श्री भानुशाली ने पोर्ट कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण और लागत रिकवरी के लिए आधुनिक तरीके इस्तेमाल करने का सुझाव दिया। पैनलिस्टों ने समयबद्ध भूमि अधिग्रहण और राज्य सरकारों से मंजूरी के द्वारा सभी बंदरगाहों के लिए मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के प्रावधान पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि,
“केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और बंदरगाह संचालकों को समन्वय के लिए बीआईएसएजी-एन पोर्टल का प्रभावी ढंग से उपयोग करना चाहिए।”
अपने समापन भाषण में, सचिव एमओआरटी एंड एच गिरिधर अरमाने ने सभी हितधारकों को धन्यवाद दिया और इस बात को रेखांकित किया कि सुझावों पर संबंधित मंत्रालय द्वारा समीक्षा की जाएगी और समयबद्ध तरीके से इसके कार्यान्वयन के लिए एक कार्ययोजना तैयार की जाएगी।