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नाद साधना संगीत समारोह में बाल एवं युवा कलाकारों ने साज और आवाज़ से कराया संगीत रसिकों का सुप्रभात

नाद साधना प्रात:कालीन संगीत सभा के होटल ग्रांड में संपन्न  32वें वार्षिक समारोह में कलाकारों का किया सम्मान।

ब्रज पत्रिका, आगरा। पं. रघुनाथ तलेगांवकर फाउंडेशन ट्रस्ट और संगीत कला केन्द्र आगरा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित नाद साधना प्रात:कालीन संगीत सभा के 32 वें वार्षिक समारोह का आयोजन ग्रांड होटल के मुख्य सभागार में आज किया गया। नाद साधना प्रातः कालीन संगीत सभा की परिकल्पना संगीत नक्षत्र पं. केशव तलेगांवकर ने वर्ष 1993 में की थी।

कार्यक्रम के प्रारंभ में विशिष्ट अतिथियों अरुण डंग, अरविंद कपूर, अनिल वर्मा, दीपक मठकर, मंगला तलेगाँवकर ने प्रथम पूज्य श्री गणेश, मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलन एवं पं. रघुनाथ तलेगांवकर जी, सुलभा जी, रानी सरोज गौरिहार जी एवं संगीत नक्षत्र पं. केशव तलेगांवकर जी के चित्र पर माल्यार्पण करके किया।

सर्वप्रथम केन्द्र के संगीत साधकों ने पं. केशव जी द्वारा स्वरचित राग अहीर भैरव में ध्रुपद अंग की ताल, एक ताल में नाद वंदना प्रस्तुत कर सांगीतिक एवं आध्यात्मिक वातावरण का सृजन किया।

कार्यक्रम के अगले चरण में पुणे से पधारे पं. केशव जी के नाती मास्टर अनहद राव ने एकल तबला वादन में ताल तीन ताल प्रस्तुत कर अपने नाना जी के सपनों को साकार करने की ओर प्रतिबद्धता दिखाई।

तदोपरांत मास्टर प्रत्यूष विवेक पांडेय ने संवादिनी पर राग भैरव का सुंदर प्रस्तुतिकरण किया।

उसके पश्चात केन्द्र की अयाईना दुआ एवं रिदम चतुर्वेदी ने राग जौनपुरी में पं. रघुनाथ जी की अत्यंत लोकप्रिय रचना “मोरे आँगन नाचे साँवरिया” जुगलबंदी में प्रस्तुति की एवं श्रोताओं का आशीर्वाद प्राप्त किया। इन नन्हे साधकों को संस्था अध्यक्ष विजयपाल सिंह चौहान एवं अरविंद कपूर ने प्रमाणपत्र एवं मेडल देकर उत्साहवर्धन किया।

तदोपरांत विशिष्ट कलाकारों में नगर के युवा तबला वादक डा. भानु प्रताप सिंह ने ताल त्रिताल में चरणबद्ध रूप से एकल तबला वादन विशेष तैयारी के साथ प्रस्तुत‌ किया। संवादिनी पर संगत महेन्द्र प्रताप सिंह ने की।

कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति के रूप में हल्द्वानी उत्तराखण्ड से पधारे पं. हरीश तिवारी के सुयोग्य शिष्य पंकज कुमार आर्य ने राग‌‌‌‌ मियां की तोड़ी में विलंबित एक ताल एवं मध्य लय तीन ताल में बंदिश एवं भजन विशेष तैयारी के साथ प्रस्तुत किया। संवादिनी पर पं. रवीन्द्र तलेगांवकर एवं तबले पर डा. लोकेन्द्र तलेगांवकर ने कुशलतापूर्वक संगति की। इस अवसर पर पंकज एवं डॉ. भानु प्रताप को नाद गौरव का सम्मान गजेन्द्र सिंह, विजयपाल सिंह चौहान एवं डॉ. गिरिंद्र तलेगाँवकर द्वारा प्रदान किया गया।

इस अवसर पर पं. रघुनाथ तलेगांवकर जी द्वारा रचित सुलभ संगीत शिक्षा का अष्ठम संशोधित संस्करण का विमोचन भी किया गया।

कार्यक्रम में प्रो. अरुण चतुर्वेदी, एसडी श्रीवास्तव, सुधीर नारायण, दीपक प्रहलाद, डॉ. गौतम तिवारी, तापोष गिरी, रविंद्र सिंह, आनंद हरिदास, नवनीत शर्मा, डॉ. महेश चंद्र धाकड़, पार्थो सेन, मुकेश शुक्ला, डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव, डॉ. आभा शर्मा, डॉ. रूनू दत्ता, डॉ. मनीषा, डॉ. वन्दना अग्रवाल, डॉ. अमिता त्रिपाठी, राशि जौहरी, मंजरी शुक्ला, मीनू सेन, निरुपमा शर्मा आदि की उपस्थिति रही। अंत में अध्यक्ष विजयपाल सिंह चौहान ने सबका आभार एवं‌ धन्यवाद ज्ञापित किया।

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