संगीत समारोह में गुरुजनों का हुआ सम्मान, आराध्य के तबला वादन, पूनम-मर्यादा के युगल कथक नृत्य और मेहुल की बांसुरी ने मोह लिया मन
गुरुजन सम्मान समारोह-२०२३ में आगरा की विभूतियां हुईं सम्मानित
ब्रज पत्रिका, आगरा। पं. रघुनाथ तलेगांवकर फाउंडेशन ट्रस्ट एवं संगीत कला केन्द्र, आगरा के संयुक्त तत्वावधान में 73 वें गुरुजन सम्मान समारोह का आयोजन ग्रांड होटल के मुख्य सभागार में किया गया। जिसमें संगीत, साहित्य, शिक्षा, समाज, जनसंचार, नृत्य एवं आदर्श गुरु के रूप में अपने – अपने कार्य क्षेत्रों में विशिष्ट सेवाएं प्रदान करने हेतु विद्वत मनीषियों को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती, गणेश जी एवं गुरुसत्ता के पं. रघुनाथ तलेगांवकर, गुरू मां सुलभा, संगीत नक्षत्र पंडित केशव तलेगांवकर जी के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया।
प्रारंभ में केन्द्र के संगीत साधकों ने गुरुवंदना “गुरू तेरी महिमा अपरम्पार” राग बिहाग पर आधारित तथा गुरुस्तुति “गुरू बिन ज्ञान कहाँ से पाऊं” राग अल्हैया बिलावल में गुरू मां प्रतिभा तलेगांवकर के निर्देशन में प्रस्तुत की। जिसमें नीपा साहा, कल्पना ठाकुर, आर्ची, महक, शुभी, अभिलाषा, आरुषी, ईशा ने भाग लिया। संवादिनी पर शुभ्रा तलेगांवकर एवं तबले पर डा. लोकेन्द्र तलेगांवकर ने कुशलतापूर्वक संगति की। अगले चरण में केन्द्र के साधक मेहुल चौधरी ने पंडित रवीन्द्र तलेगांवकर के निर्देशन में बांसुरी पर राग कल्याण की सुंदर प्रस्तुत की।
इसके उपरांत अलंकरण समारोह के अन्तर्गत प्रो. ऊषा यादव को साहित्य शिल्पी, सुनील विकल को समाज शिल्पी, गजेन्द्र यादव को जनसंचार शिल्पी, प्रो. विनीता सिंह को शिक्षा शिल्पी , पं. रविनाथ मिश्र को संगीत शिल्पी, संतोष कुलश्रेष्ठ को नृत्य शिल्पी, देवाशीष गांगुली को आदर्श गुरू की सम्मानित उपाधि से संस्था के पदाधिकारियों अध्यक्ष विजय पाल सिंह चौहान, उपाध्यक्ष अनिल वर्मा, संरक्षक अरुण डंग, डॉ. मंगला मठकर ने उपवस्त्र, सम्मान पत्र एवं माल्यार्पण करके सम्मानित किया। तत्पश्चात् सभी सम्मानित अतिथियों ने अपने अमूल्य विचार रख गुरू-शिष्य परम्परा के गूढ़ बंधन पर सारगर्भित वक्तव्य से सभागार को आलोकित किया एवं संस्था को साधुवाद दिया।
कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति में लखनऊ से पधारे उभरते तबला वादक आराध्य प्रवीण का तबला वादन विशेष रूप से सराहनीय और यादगार रहा। आराध्य ने तबला पर ताल पंचम सवारी की प्रभावशाली प्रस्तुति की।
तत्पश्चात् द्रुत तीन ताल में रेला, क़ायदा, चलन की दमदार प्रस्तुति देकर दर्शकों की वाहवाही लूटी। बनारस घराने की विभिन्न पारंपरिक रचनाओं की भी प्रस्तुति कर दर्शकों को आनंदित किया। आराध्य ने अपना वादन अपने गुरू पंडित रविनाथ मिश्र के निर्देशन में प्रस्तुत किया। संवादिनी पर पं. रवींद्र तलेगांवकर ने कुशलता पूर्वक संगति की।
कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति के रुप में आगरा की प्रतिभाशाली नृत्यांगना पूनम शर्मा एवं उनकी सुयोग्य शिष्या और सुपुत्री मर्यादा शर्मा ने कथक नृत्य की युगल प्रस्तुतियां देकर सबका मन मोह लिया। सबसे पहले विष्णु वंदना तथा पारंपरिक कथक नृत्य प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का कुशलतापूर्वक संचालन श्री कृष्ण ने किया। अंत में अध्यक्ष विजयपाल सिंह चौहान ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में नगर के प्रतिष्ठित शख़्सियतों ने अपनी उपस्थिति से स्नेह प्रदान किया। प्रमुख रूप से प्रो. नीलू शर्मा, प्रो. नीलम भटनागर, ०/प्रो. आभा चतुर्वेदी, सुरेन्द्र बंसल, आरबी दुबे, डॉ. शशि यादव, डॉ. सदानन्द ब्रह्मभट्ट, ज्योति खण्डेलवाल, विशाल झा, एसडी श्रीवास्तव, मुकेश वर्मा, डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव, कल्पना श्रीवास्तव, डॉ. सुनीता सागर, डॉ. महेश धाकड़, आदर्श नंदन गुप्त, मधुकर चतुर्वेदी, गजेन्द्र सिंह, पवित्रा अग्रवाल, हेमलता कुशवाह आदि शामिल थे।