चेतन चौहान के निधन से खेल जगत में शोक, सुनील गावस्कर ने अपने जोड़ीदार को दी भावुक श्रद्धाजंलि
ब्रज पत्रिका। महान टेस्ट क्रिकेटर चेतन चौहान के निधन से खेल जगत में शोक की लहर व्याप्त हो गयी है। क्रिकेट सितारों ने उनके निधन को खेल जगत की अपूर्णीय क्षति करार दिया है।खासतौर से क्रिकेट की दुनिया में जो उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से धाक जमाई थी, उसको कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा।
उनके साथ में भारतीय टीम की पारी की शुरुआत कराकर 70 के दशक में धूम मचा चुके पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने भी चेतन चौहान को श्रद्धांजलि दी है, गावस्कर और चौहान 1973 से 1981 तक टेस्ट क्रिकेट में भारत के सलामी जोड़ीदार के रूप में खेले थे।
सुनील गावस्कर ने चेतन चौहान को भावुक अंदाज़ में दी विदाई में लिखा,
“आजा, आजा, गले मिल, आखिर हम अपने जीवन के अनिवार्य ओवर खेल रहे हैं। पिछले दो या तीन साल में हम जब भी मिलते थे तो मेरा सलामी जोड़ीदार चेतन चौहान इसी तरह अभिवादन करता था। ये मुलाकातें उसके पसंदीदा फिरोजशाह कोटला मैदान पर होती थी जहां वह पिच प्रभारी था। जब हम गले मिलते थे, तो मैं उसे कहता था नहीं, नहीं हमें एक और शतकीय साझेदारी करनी है। वह हंसता था और फिर कहता था, अरे बाबा, तुम शतक बनाते थे, मैं नहीं। मैंने कभी अपने बुरे सपने में भी नहीं सोचा था कि जीवन में अनिवार्य ओवरों को लेकर उसके शब्द इतनी जल्दी सच हो जाएंगे। यह विश्वास ही नहीं हो रहा कि जब अगली बार मैं दिल्ली जाऊंगा तो उसकी हंसी और मजाकिया छींटाकशी नहीं होगी।
चेतन चौहान के दो बार टेस्ट शतक चूकने के लिए सुनील गावस्कर कुछ हद तक खुद को जिम्मेदार मानते हैं। दोनों बार ऐसा ऑस्ट्रेलिया में 1980-81 की सीरीज के दौरान हुआ। उन्होंने लिखा, ‘एडिलेड में दूसरे टेस्ट में जब चेतन 97 रन बनाकर खेल रहा था तो टीम के मेरे साथी मुझे टीवी के सामने की कुर्सी से उठाकर खिलाड़ियों की बालकनी में ले गए और कहने लगे कि मुझे अपने जोड़ीदार की हौसला-अफजाई के लिए मौजूद रहना चाहिए। मैं बालकनी से खिलाड़ियों को खेलते हुए देखने को लेकर थोड़ा अंधविश्वासी था क्योंकि तब बल्लेबाज आउट हो जाता था और इसलिए मैं हमेशा मैच ड्रेसिंग रूम में टीवी पर देखता था। हालांकि, जब डेनिस लिली गेंदबाजी करने आया तो मैं एडिलेड में बालकनी में था और आप विश्वास नहीं करोगे कि चेतन पहली ही गेंद पर विकेट के पीछे कैच दे बैठा। दूसरा मौका तब आया जब अंपायर के खराब फैसले पर आउट दिए जाने के बाद मैदान से बाहर जाते हुए ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के अभद्र व्यवहार के बीच मैंने धैर्य खो दिया। चेतन चौहान को बाहर ले जाने के प्रयास से निश्चित तौर पर उसकी एकाग्रता भंग हुई होगी और कुछ देर बाद वह एक बार फिर शतक से चूक गया।”